पुष्कर का मंदिर एक लौटा मंदिर है जहा भगवन ब्रम्हा को पूजा जाता है।
मंदिर निर्माण के पीछे की कहानी
यह स्थान भगवान ब्रह्मा और उनकी जीवन यात्रा का हिस्सा है। भगवान ने वज्रनाभ नाम के राक्षस को देखा कि वह उनके बच्चे को मारने की कोशिश कर रहा था, उन्होंने अपने बच्चे को बचाने के लिए कमल के फूल को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। उस समय के दौरान कमल की कुछ पंखुड़ियां जमीन पर गिर गई थीं और 3 झीलों का निर्माण होगया था। तीनो झीलें ज्येष्ठ पुष्कर झील, माद्य पुष्कर झील और कनिष्क पुष्कर झील के नाम से जानी जाती थीं। जब ब्रह्मा पृथ्वी पर आय, तो उन्होंने यज्ञ करने की योजना बनाई, उन्होंने अपने चारों ओर पहाड़ियों का निर्माण किया ताकि कोई भी दानव उन्हें विचलित न कर सके। उन्हें अपनी पत्नी के साथ उस यज्ञ में शामिल होने की आवश्यकता थी लेकिन किसी कारण वर्ष उनकी पत्नी यग के लिए नहीं आ पाई । जल्द बजी में उन्होंने एक दूध बेचनेवाली औरत ,जिश्का नाम गायत्री था उनसे शादी की और यज्ञ शुरू किया। सावित्री(ब्रह्मा की पहली पत्नी ) का जब आगमन हुआ तब सावत्री ने इस पूरी बात को बिना समझे अपने पति को शाप दिया कि पूरी दुनिया में उन्हें किसी के दवारा पूजा नहीं जाएगा। समय उतपरान्त सावत्री ने अपना सराप बदला और निश्चय किया की ब्रह्मा जी को सिर्फ “पुष्कर ” में ही पूजा जाएगा।
एक बार खुद को वहां जाने से कोई नहीं रोक सकता, अगर उन्हें उस जगह के बारे में जानकारी हो तोह । कार्तिक पूर्णिमा के समय पुष्कर में आमतौर पर भक्तों का भारी जमावड़ा होता है क्योंकि उस दिन भगवान ब्रह्मा का दिन होता है। मंदिर के पास मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर के बगल में ऊट की सवारी प्रदान की जाती हैं। जब लोग पुष्कर जाते हैं तो वे सबसे पहले पुष्कर झील में डुबकी लगाते हैं, जो मंदिर के बगल में है और फिर मंदिर जाते हैं। शाम को भी आप ऐसा महसूस नहीं करेंगे कि आपके लिए एक नई जगह है, आप मदद के लिए तैयार सड़कों पर चबूतरे पर बैठे लोग पाएंगे।पुष्कर क्षेत्र के खाद्य पदार्थ बहुत प्रसिद्ध है।
मंदिर की सुंदर वास्तुकला राजस्थानी स्थापत्य शैली का अद्भुत उदाहरण है। मंदिर एक उचे चबूतरे पर बसा है |यहां तक पहुंचने के लिए कई सीढ़ियां हैं। ये सीढ़ियाँ आपको प्रवेश द्वार के तोरणद्वार तक ले जाएँगी, जो द्वार खंभे की कैनोपियों से सजाया गया है।
पुष्कर मंदिर के बारे में कुछ अद्भुत फैक्ट
- यह तीन पहाड़ों के बीच में स्थित है|
- पहाड़ियों के ऊपर से पुष्कर तालाब जैसा दिखता है|
- पुष्कर में किसी भी मूर्ति की पूजा नहीं होती है|
- ब्रह्मा की मूर्तियों की जगह कछुए की पूजा की जाती है।
- पुष्कर अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है|
- पुष्कर में एक विशाल बाज़ार है जहाँ आपको पवित्र पत्थर मिलेंगे।